बिहार में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाओं में हालिया वृद्धि ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं ने न केवल समाज को झकझोर दिया है, बल्कि राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों को भी सोचने पर मजबूर किया।
लेखन – रचना
बिहार में नाबालिगों के खिलाफ दो अपराध
हाल के महीनों में बिहार में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष 2025 में, मुज़फ्फरपुर जिले में एक दलित नाबालिग लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या की घटना ने राज्य को हिलाकर रख दिया। इस घटना के बाद, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
इसके अतिरिक्त, एक दिल दहला देने वाली खबर यह भी है कि कल यानी 4 जून 2025 को बिहार के गया में महज 11 महीने की एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया गया। बलात्कार किए जाने के बाद लड़की की हालत नाजुक बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार बुधवार की रात रिश्ते में मामा लगने वाले नसेड़ी युवक ने लड़की को खिलाने के बहाने पास के एक मेडिकल स्कूल में ले जा कर बलात्कार किया। लड़की का इलाज पास के निजी अस्पताल में किया जा रहा है, और नशे में धूत आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और सरकार की भूमिका
इन घटनाओं के बाद, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राज्य में बढ़ते अपराधों पर ध्यान न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही और पुलिस की निष्क्रियता ने अपराधियों को बढ़ावा दिया है।
कांग्रेस ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, ताकि इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा की जा सके।
आंकड़े और विश्लेषण
इंडिया टुडे के एक रिसर्च रिपोर्ट से पता लगा कि, 2024 में बलात्कार के 7,294 मामले होंगे, जो 2020 के 6,134 मामलों से 19% अधिक है। पिछले वर्ष 2024 में, बिहार में भी कई बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से लगभग 40% मामले नाबालिगों से संबंधित थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हो रही है। लेकिन वर्तमान में बिहार में जनवरी से मई 2025 तक नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है। लेकिन मई के महीने में नाबालिगों के साथ बलात्कार के दो केस सामने आए हैं जो चिंताजनक है।
कानून-व्यवस्था की स्थिति
राज्य में पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासनिक लापरवाही ने अपराधियों को बढ़ावा दिया है। मुज़फ्फरपुर बलात्कार कांड में पुलिस की देरी से कार्रवाई ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया।
चुनावों के नजदीक आते ही ये मुद्दे अधिक उभरकर सामने आते हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दल इन मुद्दों को केवल वोट बैंक के रूप में देख रहे हैं ? क्योंकि देश में लगातार बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहा है, कई बार देखा गया की बाबाओं द्वारा ही बलात्कार का मामला सामने देखने को मिला है, लेकिन ऐसा कम ही खबर पता चल पाया है कि इस विषय में सरकार द्वारा कोई कड़ी कार्यवाही की घोषणा की गई हो, उल्टा जेल भेजे गए अपराधियों को अंतरिम जमानत में उनके मर्जी अनुसार बाहर कर दिया जाता है। ठीक ऐसा ही बिहार की स्थिति भी देखी जा सकती है पिछले साल भी कितने बलात्कार के केस सामने आए, और इतने केस से सम्बंधित अपराधियों को क्या सजा मिली होगी ? सरकार चाहे किसी की भी हो इस विषय पर गंभीरता से सोचने और विस्तार से जांच करने, आरोपी को सजा दिलाने में सरकार दो कदम पीछे ही नजर आते दिखते है।
बिहार में नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए समाज, सरकार और पुलिस को मिलकर काम करना होगा। सभी को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके अन्यथा ऐसी घटनायें आम बात बन कर रह जाएगी।
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